Friday, 15 May 2015

A new HIndi tutorial blog of Persian

Hello Everyone! This is the start of a new tutorial blog on Persian. I shall be writing a simple way of learning Persian (Farsi) through some Hindi lessons. Should be easy to follow and well discussed. Please let me know of your comments.
विचार


इस विषय की अवधारण और आवश्यकता पर एक टिप्पणी आवश्यक समझता हूँ । वैसे तो फ़ारसी सीखने और समझने के लिए अंग्रेज़ी और उर्दू में कई किताबें और ऑनलाइन स्रोत हैं, फिर यह हिन्दी टीका क्यों ज़रूरी समझा? अंग्रेज़ी पाठों के साथ ये समस्या है कि ये पाठक के मंतव्य को साथ में लेकर नहीं चलते । फ़ारसी पढ़ने के कई प्रयोजन हो सकते हैं - मध्यकालीन शाइरी, ज्योतिष, यूनानी चिकित्सा और आरंभिक फारसी के स्वरूप को जानने की इच्छा । लेकिन इन के इच्छुक पाठकों को अंग्रेज़ी पाठों में इन ग्रंथों के संदर्भों वाले उद्धरण नहीं मिल पाते । निस्संदेह, बिना सुगम उदाहरणों के पाठकों को अपने लक्ष्य के साथ जोड़ कर पढ़ पाना मुश्किल हो जाता है । 

उर्दू किताबों और दरसों (पाठों) के साथ समस्या यह है कि कई पाठकों को उर्दू लिखते आती नहीं लेकिन फ़ारसी सीखने की संपूर्ण लगन और क्षमता रखते हैं । दूसरे, कि उर्दू की किताबों के उदाहरण मुख्यतः धार्मिक लक्ष्य को देख कर लिखे जाते है । इस स्थिति में वे पाठक जो इस्लाम धर्म की जानकारी नहीं रखते, अक्सर हतोत्साहित हो जाते हैं । अतः एक नए हिन्दी पाठ की आवश्यकता महसूस हुई जो पाठक के मंतव्य को ध्यान में रखते हुए सुगम्य और अर्थपूर्ण हों ।

अतः टूटी-फूटी, लेकिन बोलने लायक फ़ारसी सीखने के लिए कुछ सरल अध्यायों की प्रस्तुति कर रहा हूँ ।


फ़ारसी की पहली किताब - आश्चर्य है कि फ़ारसी की किताबें लखनऊ में  भी नहीं मिलतीं ।

पहले की तैयारी


लेकिन कई बात पाठकों को किताब शुरु करने से पहले ध्यान में रखनी चाहिए -
  1. फ़ारसी लिपि दाहिने से बाएँ (<----) में लिखी जाती है जो अरबी लिपि पर आधारित है । इसी पर आधारित ऊर्दू की लिपि है, लेकिन उर्दू में और भी अक्षर जोड़े गए हैं जो फ़ारसी में नहीं हैं ।
  2. फ़ारसी शब्दों को हिन्दी लिपि में लिखने (लिप्यंतरण) में नुक़्तों का प्रयोग बहुत होता है, इनके उच्चारण पर ध्यान देते रहें । इन नुक़्तों का प्रयोग, उच्चारण और हिज्जे के लिहाज से बहुत महत्वपूर्ण है ।
  3. फ़ारसी में ‘वर्तमान काल’ सबसे अन्त में सिखाया जाता है क्योकि यह अन्य काल से अधिक नियम-कानून (या कहें तो बिना नियम-क़ानून) वाला है ।
  4. फ़ारसी में कई ऐसे शब्द हैं जो उर्दू में (और हिन्दी में) प्रयुक्त तो होते हैं पर उनका अर्थ वही नहीं है जो फ़ारसी में प्रयुक्त है। इस किताब में जहाँ भी फ़ारसी शब्द देवनागरी (हिन्दी) लिपि में लिखे गए हैं - तिरछे हैं । इन बातों के साथ अगर फ़ारसी पढ़ने की शुरुआत की गई तो बहुत लाभकारी होगी ।


References:
  1. चहल सबक़ - मुंशी हसन अली नक़्शबंदी। ताज कंपनी, चौक बाज़ार, सहारनपुर ।
  2. रहबरे फ़ारसी याने फ़ारसी बोलचाल । मौलाना मुश्ताक़ अहमद साहब, चरथावली । मक़तबे थानवी, देवबंदी ।
  3. आरास्तन - अशरफ़ सउदी । बाकवी फ़ाज़ल देवबन्द ।

तो पहले पाठ के लिये हो जाइये तैयार । हफ़्ते में ३-४ लेसन्स के लिए !

अमित

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