Monday, 25 January 2016

Lesson 36 - A trick for present tense verbs

Hello,

This time - a small trick!

अध्याय - ३९
मसदर से अम्र (२)


अम्र एवम् वर्तमान काल के सेग़े बनाने के लिए एक पेंचीदा विधि दी गई है । इस विधि का उद्देश्य मसदर का मूल निकालना है । चूँकि मूल निकलते ही हाल, मज़ारए और अमर के सेग़ों का गठन आसान हो जाता है, ये विधि उन सेग़ों के लिए भी लाभकारी है ।


ग़ौर करिये कि यदि आपका मसदर ख़ुफ़्तन यानि सोना है तो ये विधि , किस प्रकार सहयक है ।

ज़सफ़रनआखुशेम - زسفرنآجوشیم

उपरोक्त शब्द में ११ हर्फ़ हैं । किसी भी मसदर के आख़िरी तन या दन (जिसको अलामते मसदर कहते हैं) को हटाएँ तो आख़िर में ऊपर दिये लफ़्ज़ का एक ना एक हरफ़ रहता है । मसलन - ख़ुफ़्तन । यहाँ तन हटाने के बाद फ़ आख़िरी हरफ़ बनता है । हाल (या कहें तो मज़ारअ) बनाने के लिए इसी अक्षर (हर्फ़) पर काम किया जाता है । कभी इसको बदल दिया जाता है, कभी ग़ायब कर दिया जाता है तो कभी किसी मात्रा या वर्ण से बढ़ा दिया जाता है ।

इस आख़िरी अक्षर (तन या दन के ठीक पहले का वर्ण) के अलग-अलग सूरतों में विधि नीचे दी गई है -

  1. ز - अगर तन या दन से पहले ज़ आए तो इसको अम्र बनाने के लिए आगे एक नून की मात्रा लगाई जाती है । जैसे ज़दन (मारना) से ज़न (मार) बना ।
  2. س - अगर स हो तो कई विधियाँ इस्तेमाल में लाईं जाती हैं । पहला ये के इस स को निकाल देते हैं । जैसे ज़ीस्तन (जीना) - ज़ी (जी) । दूसरा, स को ए से बदलते हैं । जैसे आरास्तन (संवारना) - आराए । पैरास्तन (संवारना) - पैराए । तीसरा, स को ह से बदल देते हैं । जैसे ख़्वास्तन (चाहना) - ख़्वाह । कास्तन (घटाना) - काह  । जस्तन(कूदना) - जेः । चौथा, स  को उए से बदलते हैं । इस प्रकार के मसदर में स के उपर पेश पहले से रहता है जिसे उ में तब्दील करते हैं और एक ए लगाते हैं । उदाहरणस्वरूप,  जुस्तन (ढ़ूँढ़ना) - जूए । शुस्तन(धोना) - शुए । पाँचवां - स को न से बदलते हैं । शिकस्तन (टूटना, तोड़ना) - शिकन ।
  3. ف - हर्फ़-ए-फ़े होने पर, अम्र बनाने की कई विधियाँ हैं । पहला, फ़ को ब से बदलते हैं । जैसे, शताफ़्तन(दौड़ना) - शताब । याफ़्तन(पाना) - याब । इसी याफ़्तन से दस्तयाब (हाथ लगना) या नायाब (दुर्लभ) जैसे शब्द बने हैं । एक और उदाहरण है - कुफ़्तन (ठोकना) - कुब । दूसरा, इसको व से बदलते हैं । जैसे, शनफ़्तन(सुनना) - शनू । रफ़्तन - रु । तीसरा, इस हरफ़ को ज्यों का त्यों रखते हैं । जैसे, शिगाफ़्तन(चीरना) - शिगाफ़ । बाफ़्तन (बुनना)   - बाफ़ ।
  4. ر - अगर रे हो तो इसको रहने देते हैं और अलामत (तन या दन) को हटा देते हैं । जैसे -अफ़शारदन (निचोड़ना) - अफ़शार । अफ़सुर्दन (कुम्हलाना) - अफ़्सुर । लेकिन सबसे चालू क्रियाओं में से एक करदन पर ये लीगू नहीं होता । करदन एक अपवाद है ।
  5. ن - अगर नून हो तो इसको ज्यों को त्यों रखते हैं । निशान्दन(बिठाना) - निशान ।
  6. آ - आ होने से इसको हटा देते हैं, ग़ायब कर देते हैं । जैसे - इस्तादन(खड़े रहना) - इस्त ।
  7. خ - ख़ रहने से इसको ज़ (ज़े)से बदलना चाहिए । उदाहरण स्वरूप, अंदाख़्तन(डालना) - अंदाज़ । अफ़रोख़्तन (रोशन करना) - अफ़रोज़ । गिरीख़्तन (भागना) - गिरीज़ ।
  8. و - अगर वाव हो तो इसको आए से बदलना चाहिए । कशुदन (खोलना) - कशाए । बख़्शूदन (बख़्शना) - बख़्शाए ।
  9. ش - अगर शीन हो तो इसे से बदलते हैं । निगाश्तन (लिखना) - निगार । गोज़ाश्तन (गुज़ारना) - गोज़ार ।
  10. ی - या हमज़ा होने पर इसको निकाल देते है । ख़ीज़ीदन (उठना) - ख़ीज़ ।
  11. م - मीम की सूरत में ए से बदलते हैं । आमदन (आना) - आए ।


इन ग्यारह हरफ़ के आलावे की सूरत में याद्दाश्त ही काम देती है । बल्कि कुछ बार तो इन नियमों से भी अम्र नहीं बनते ।

अम्र बनाने के तुरंत बाद, मजारे (मात्रा लगाकर) और फिर हाल (मजारअ में मी लगाकर) बना सकते हैं ।

उदाहरण


अफ़रोख़्तन - रोशन करना

अलामत-ए-मसदर निकालने पर अफ़रोख़ मिला
आख़िरी हर्फ़ ख़ है । उपर दिये नियम के अनुसार - ख़ को ज़ से बदलेंगे । इससे अफ़रोज़ बना । अफ़रोज़ का अर्त हुआ - रोशन कर (या जला) ।
जलाए - अफ़रोज़द
वो जला रहा है - मीअफ़रोज़द

इसी प्रकार

तरसीदन - डरना
अलामतए मसदर हटाने पर तरसी बना । आख़िरी हरफ़ ये है, इसको निकाल देते हैं - तरस बना ।
तरस - डर
डरे - तरसद
वो डर रहा है - मीतरसद ।


अभ्यास

जुस्तन - जुए (ढूंढ)
ख़रीदन - ख़र (ख़रीद)
दाश्तन - दार (रख)
दवीदन- दव (दौड़)
ख़वान्दन - ख़्वान (पढ़)

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