Hello all,
I think I should have started this earlier, nevertheless, "der aayad; durust aayad".
Enjoy!
अध्याय - २२
भूतकाल (सामान्य भूत)
माज़ी मुतलक़ - ماضی مُطلق
मैं, अध्याय २ में लिखे गए सबसे आरंभिक शब्दों का उल्लेख फिर कर रहा हूँ -
मन - मैं । तू - तू । उ - वो ।
आमदन - आना । रफ़्तन - जाना । गुफ़्तन - बोलना । करदन - करना ।
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भूत काल के वाक्य जैसे, मैं आया, वो गया बनाने के लिए दो चरण होते हैं -
- क्रिया (मसदर) से आख़िर का ‘न’ हटाइये, ( गुफ़्तन -> गुफ़्त) और
- निम्न तालिका के हिसाब से प्रत्यय जोड़िये -
पुरुष
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प्रत्यय
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बहुवचन (जमा)
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प्रत्यय
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मैं
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म् - م
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हम
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एम - یم
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तुम
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ी - ی
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आप
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एद - ید
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वो
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-
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वे लोग
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अन्द - اند
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बहुवचन के प्रत्यय बाद में पढ़े तो आसानी होगी ।
इस तरह,
"मैं आया" - मन् आमदम (सिर्फ़ आमदम कहने से भी पर्याप्त होगा और बोलचाल में ऐसा ही इस्तेमाल होता है) ।
"मैं आया" - मन् आमदम (सिर्फ़ आमदम कहने से भी पर्याप्त होगा और बोलचाल में ऐसा ही इस्तेमाल होता है) ।
वो आया - (उ) आमद - آمد
तू आया - (तू) आमदी - آمدی
तू बोला - (तू) गुफ़्त - گُفت
मैं गया - (मन्) रफ़्तम - رفتم
निषेधात्मक वाक्य इस प्रकार बनते हैं -
- मैं नहीं गया - मन न रफ़्तम من ن رفتم
- मैं नहीं समझा - (मन) न फ़हमीदम ن فهمیدم
- वो नहीं बोला - (उ) न गुफ़्त ن گوفت
यहाँ न के प्रयोग पर ग़ौर करें । इसे उच्चारण में नः और नेः भी कह सकते हैं ।
अभ्यास
मैं कहाँ आ गया - (मन) कुजा आमदम?
मैने उसको नहीं देखा - उरा न दीदम.
क्या तुमने उसे देखा - अया तू उरा दीदी
नहीं, कहीं नहीं देखा - नः, कुजे न दीदम
निज़ामी गंजवी की ग़ज़ल
ما را به غمزه کشت و قذا را بحانا ساخت
خُد سوِ ما ندید و حیا را بحانا ساخت
मॉ रॉ बः ग़मज़ा कुश्तो क़ज़ा रॉ बहाना साख़्त ।
ख़ुद सूए मा न दीद, व हया रॉ बहाना साख़्त ।
(मॉ रॉ - मुझ को । ग़मज़ा - आँख मारना, साख़्तन - बनाना । सूए मा - मेरी तरफ़ । )
मुझको आँख मार कर ख़त्म किया और क़िस्मत का बहाना बनाया । ख़ुद मेरी तरफ़ नहीं देखा और हया (शर्म) का बहाना बनाया ।
इक़बाल बानो की गायी इस ग़ज़ल ( १२वीं सदी में लिखी) को पूरा सुनने के लिए यूट्यूबपर जाएँ - https://www.youtube.com/watch?v=nxzCgxxz3wo