Friday, 31 July 2015

Lesson 17 - Arabic Plurals



अध्याय १७
अरबी का असर

शब्दों के रूप बदलने में अरबी के प्रत्यय फ़ारसी में बहुत होते हैं । ग़ौरतलब है कि अरबी के वर्तन अक्सर उपसर्ग के रूप में या शब्दों के बीच में होते हैं । इनको बदलने के नियम तो यहाँ नहीं दिये जा रहे हैं लेकिन उदाहरण यहाँ देखें -

ग़फ़्ल - अनभिज्ञता
ग़फ़लत - मूर्खता, अज्ञानता
तग़ाफ़ुल - अनजान बनना, नज़र अन्दाज़ करना ।
ग़ाफ़िल  - अनज़ान, बेगाना

सज्द - स्तुत
सिजदा - प्रार्थना करना
मस्जूद - जिसकी पूजा हो ।
साजिद - जो प्रार्थना कर रहा है
मस्जिद - प्रार्थना की जगह ।

दरस - ज्ञान
मदरसा - ज्ञान की जगह (इस्लामी स्कूल)

और के प्रयोग पर ग़ौर करिये ।

बहुवचन


ख़त - ख़ुतूत
वस्ल - विसाल
तिफ़्ल - अतफ़ाल
मसजिद - मसाजिद
मदरसा - मदारिस


अभ्यास

इन शब्दों के बहुवचन बनाएं

कुफ़्र
ख़बर


One link to read more - http://arabic.desert-sky.net/g_cases.html

Cheers!

Monday, 27 July 2015

Lesson 16 - Numbers and taste

Hello,

आज कुछ अभ्यास, गिनती और स्वाद !...

अध्याय - १६
अभ्यास पाठ

लेखन अभ्यास और शब्दों की पुनरावृत्ति

संख्या
फ़ारसी
संख्या
फ़ारसी
11
याज़्दः - یازده
12
द्वाज़दः - دوازده
13
सिज्दः - سیزده
14
चहरदः - چحارده
15
पांजदः - پانجده  ‍
16
शशदः - ششده
17
हफ़्तदः - هفتده
18
हीजदः - حیزده
19
नवदः - نوده
20
बीस्त - بیست
30
सी - سی
40
चहल - چحل
50
पंजाः - پنجه
60
शस्त - شست
70
हफ़्ताद - حفتاد
80
हश्ताद - حشتاد
90
नवद - نود
100
सद - صد


अन्य सख्याओं के उदाहरण
24 - बिस्त व चहार بست و چحار
183 - सद व हश्ताद व सेः صد و حشتاد و سی
2452 - दो हज़ार व चहार सद व पंज़ाः व दो - دو حزار و چحار و صد و پنجه و دو
32 - सी व दो - سی و دو

क्रम


पहला - यकम یکم
सबसे पहला - अव्वलीं - اوَلین
सबसे आख़िरी - आख़िरीं - آخِرین
दूसरा - दोयम - دویم
तीसरा - सेयम - سوم
चौथा - चहरुम - چحرُم
बीसवां - बिस्तम - بِستم
चौबीसवां - बिस्त व चहारुम - بِست و چحروم
कितनावां - चंदुम - چندوم

उदाहरण

मैं वहाँ आज सुबह पहला आदमी था - मन इमसुबह आंजा अव्वलीं बूद ।
वो मेरे बाद दूसरा था - आं पसे मन दोयम बूद ।


स्वाद

हिन्दी
फ़ारसी
हिन्दी
फ़ारसी
मीठा
शारीं - شیرین
तीखा
तेज़ - تیز
कड़वा
तल्ख़ -  تلخ
खट्टा
तुर्श - تُرش
नमकीन
शोर - شور
नमकीन
नमकीन - نمکین

अभ्यास


पहला दिन अच्छा था - अव्वलीं रूज़ ख़ूब बूद । اوّلین روز خوب بود
पहला सेब मीठा था - अव्वलीं सीब शीरीं बूद । اوّلین سیب شیرین بود

दूसरा खट्टा है - दोयम तुर्श अस्त । دویم تُرش بود

....

Friday, 24 July 2015

Lesson 15 - Plurals

Hello, 
It's time for Plurals! Very easy for Persian nouns. A bit difficult for Arabic words. Without further ado ...

अध्याय - १५
बहुवचन


जमा - جمع


एक वचन को फ़ारसी में वाहिद कहते हैं । अरबी गिनती में एक को वह्द पड़ते हैं , वाहिद वहीं से आया है । इस्लाम के सबसे बड़ी मान्यताओं में से एक -ईश्वर के एकत्व - के नाम में इस मूल का शब्द बहुत इस्तेमाल होता है ।


बहुवचन बनाने के लिए, सामान्यतया, शब्दों के अन्त में आं آن लगाते हैं या हा ها लगाते हैं । इसके सबसे आसान उदाहरण के लिए हम यह (ईँ) शब्द से शुरुआत करेंगे ।


यह - ईं (यानि नज़दीक की चीज़)।
ये सब - ईनां/ ईंहा
वो - आं (यानि दूर की चीज़)
वो सब - आनां/आंहा


लेकिन इसके आलावे जिन नियमों का ध्यान रखना पड़ता है, वे नियम इस प्रकार हैं -


  1. अगर किसी शब्द का आख़िरी अक्षर अलिफ़ या वाव-ए-साकन हो तो इसके बहुवचन (जमा) के लिए शब्द के अन्त में यान लगाते हैं । जैसे परीरू - परीरूयान बन जाता है । परीरू का मतलब परियों के जैसे रुख़ वाली, यानि ख़ूबसूरत होता है ।
  2. अगर किसी सजीव के आख़िर में है तो इसे गान ( گان) से बदला जाता है । जैसे बच्चः - बच्चेगान (بچه - بچًگان) । बंदः - बंदेगान । ख़्वाजे - ख़्वाजेगान ।
  3. अगर किसी निर्जीव वस्तु के आख़िर में आता हो और उसका जमा बनाना हो तो इस को हा बनाया जाता है । जैसे ख़ानः - ख़ानहा (خانه - خانها) ।


कुछ उदाहरण


हिन्दी
दरख़्त (पेड़)
बन्दा
साल
सग (कुत्ता)
मर्द
कार (काम)
गुल
एकवचन
درخت
بنده
سال
سگ
مرد
کار
گول
बहुवचन
درختان
بندگان
سالها
سگان
مردان
کارها
گولها

अरबी में

अरबी में बहुवचन के अलावे द्विवचन भी होता है, संस्कृत की तरह । लेकिन फ़ारसी में अरबी शब्दों के सिर्फ़ बहुवचन ही इस्तेमाल किए जाते हैं । इसका नियम बताना मुश्किल है लेकिन उदाहरण यहाँ देखें -


Keep Practicing! (फ़ारसी में - मुश्क़ मीकुनेद)

Friday, 17 July 2015

Lesson 14 - This and that with prepositions

This chapter starts some words useful in spoken Persian. A bit more detail and application of this and that. Don't forget to follow the video link at the end of the tutorial!

अध्याय - १४
ईन और आं के प्रयोग

जैसा कि मालूम होगा, ईं का अर्थ ये (नज़दीक या पहचान की चीज़) और आं का अर्थ वो (दूर और अजनबी) होता है । इसके अलावे विभक्तियों के बारे में भी आपको पता होगा । यहाँ हम उन दोनों के मेल से बने शब्दों पर ध्यान देंगे जो आम तौर पर बहुत इस्तेमाल होते हैं -

जैसा के रॉ के प्रयोग । अध्याय से आपको पता होगा कि केताबरॉ - किताब को । इसी प्रकार

इसको - ईंरॉاین را
उसको - आंरॉ آن را

यहाँ उस के लिए उ का प्रयोग करने से उरॉ او را भी बन सकता है, और यह भी इस्तेमाल में आता है ।

चूँ या चून का अर्थ जैसा होता है ।
उसके जैसा - चूनान  چونان
इसके जैसा - चूनिन چونین

कुछ और प्रयोग -

दर - में

अज़ - से

जा- जगह

इसमें
उसमें
इससे
उससे
इस जगह
उस जगह
दरईं - درین
दरां - دران
अज़ीं - ازین
अज़ां - ازان
ईंजा - اینجا
आंजा - آنجا

अनुस्वार के उच्चारण के लिए समान्य लेखन में नून-ग़ुन्नः इस्तेमाल होता है, लेकिन यहाँ टंकण की परम्परा के अनुसार नून का इस्तेमाल किया गया है ।

अभ्यास

ज़िन (अज़ इन - از این) का अर्थ ?

इसका अर्थ हुआ - 'इस से'

इससे पहले कि आप ये पाठ बंद करें, मैं आपको सलाह दूंगा कि कुछ बोलचाल की फ़ारसी पढ़ लें । कम से कम अक्षर और स्वर । शुरुआत के लिए रुमी की इस ग़ज़ल को सुनिये जो बहुत छंदमय है । अगर आपको कुष समझ में आए तो ज़रूर लिखिएगा ।

https://www.youtube.com/watch?v=xoITmyhdQhc