Friday, 24 July 2015

Lesson 15 - Plurals

Hello, 
It's time for Plurals! Very easy for Persian nouns. A bit difficult for Arabic words. Without further ado ...

अध्याय - १५
बहुवचन


जमा - جمع


एक वचन को फ़ारसी में वाहिद कहते हैं । अरबी गिनती में एक को वह्द पड़ते हैं , वाहिद वहीं से आया है । इस्लाम के सबसे बड़ी मान्यताओं में से एक -ईश्वर के एकत्व - के नाम में इस मूल का शब्द बहुत इस्तेमाल होता है ।


बहुवचन बनाने के लिए, सामान्यतया, शब्दों के अन्त में आं آن लगाते हैं या हा ها लगाते हैं । इसके सबसे आसान उदाहरण के लिए हम यह (ईँ) शब्द से शुरुआत करेंगे ।


यह - ईं (यानि नज़दीक की चीज़)।
ये सब - ईनां/ ईंहा
वो - आं (यानि दूर की चीज़)
वो सब - आनां/आंहा


लेकिन इसके आलावे जिन नियमों का ध्यान रखना पड़ता है, वे नियम इस प्रकार हैं -


  1. अगर किसी शब्द का आख़िरी अक्षर अलिफ़ या वाव-ए-साकन हो तो इसके बहुवचन (जमा) के लिए शब्द के अन्त में यान लगाते हैं । जैसे परीरू - परीरूयान बन जाता है । परीरू का मतलब परियों के जैसे रुख़ वाली, यानि ख़ूबसूरत होता है ।
  2. अगर किसी सजीव के आख़िर में है तो इसे गान ( گان) से बदला जाता है । जैसे बच्चः - बच्चेगान (بچه - بچًگان) । बंदः - बंदेगान । ख़्वाजे - ख़्वाजेगान ।
  3. अगर किसी निर्जीव वस्तु के आख़िर में आता हो और उसका जमा बनाना हो तो इस को हा बनाया जाता है । जैसे ख़ानः - ख़ानहा (خانه - خانها) ।


कुछ उदाहरण


हिन्दी
दरख़्त (पेड़)
बन्दा
साल
सग (कुत्ता)
मर्द
कार (काम)
गुल
एकवचन
درخت
بنده
سال
سگ
مرد
کار
گول
बहुवचन
درختان
بندگان
سالها
سگان
مردان
کارها
گولها

अरबी में

अरबी में बहुवचन के अलावे द्विवचन भी होता है, संस्कृत की तरह । लेकिन फ़ारसी में अरबी शब्दों के सिर्फ़ बहुवचन ही इस्तेमाल किए जाते हैं । इसका नियम बताना मुश्किल है लेकिन उदाहरण यहाँ देखें -


Keep Practicing! (फ़ारसी में - मुश्क़ मीकुनेद)

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