Sunday, 20 September 2015

Lesson 28 - Wish

Hello,

How to say this - "I wish I was the best" ! Or, "May you prosper"? If you know the amr (commands and orders) pattern in Persian, it's just another step to learn:



अध्याय - २८
होए - मजारअ


مضارع


अगर हमें कुछ इस प्रकार के वाक्य कहने हों - “मैं जाऊँ”, “तू करे”, “वो आए” आदि तो इसे मज़ारअ कहते हैं । इसका एक दोहरा उदाहरण है - “तू झूठ बोले और मैं देखता रहूँ” । कोशिश करें कि अध्याय के अन्त तक आपको इस वाक्य का अनुवाद (तरजुमा) पता चल जाए ।


इसको बनाने के लिए निम्न प्रकार की युक्तियाँ लगाते हैं


  1. मसदर का मूल लेते हैं । रफ़्तन -> रव या रु, गुफ़्तन -> गोए ।
  2. इसमें फिर पुरुष के हिसाब से मात्रा लगाते हैं जिसका जिक्र पहले के अध्यायों में किया जा चुका है । इस प्रकार रव, रवम बना ।


हिन्दी
फ़ारसी
हिन्दी
फ़ारसी
मैं बोलूं
गोयम - گویم
हम बोलें
गोएम
तू बोले
गोयी - گوی
आप बोलें
शुमा गोइद
वो बोले
आं गोयद - گوید
वे बोलें
उशां गोयन्द


अगले अध्याय में ग़ौर करिये कि मज़ारअ के सेग़े के पहले मी लगाते हैं तो यह वर्तमान काल का (फ़ाएले-हाल) सेग़ा बनता है ।

उदाहरण



कोई बोले - कसे गोयद
वो मरे - उ कशद
मैं जाऊँ - मन रवम
कोई क्या करे - कसे चेः कुनद
कहाँ जाए - कुजा रवद


अभ्यास



ग़ालिब के इस उर्दू शेर को फ़ारसी में अनुवाद (तरजुमा) करें -


इब्ने- मरियम हुआ करे कोई ।
मेरे दर्दे दिल की दवा करे कोई ।

जवाब

कसे इब्ने-मरियम शवद
दर्द-एदिल रॉ दवा कुनद



Friday, 18 September 2015

Lesson 27 - Command!

Hello!

How do you command/order? "Come Here", "Go there", "Don't eat that" etc? Here we learn!


अध्याय -२७  
अम्र (आदेश)

जाओ, खाओ, आओ - इस प्रकार के वाक्य बनाने के लिए ये तरीका है -


  1. मसदर का मूल लें । यानि रफ़्तन -> रव (رو) या रुइतने से ही अम्र बन जाता है, लेकिन अगर आप चाहें तो उसके पहले ब- लगा सकते हैं, यानि रू -> रु


और उदाहरण -


खा - बख़ुर  بخر (या ख़ुर) । ला - बेयार (بِیار) । आ - बिआ (بِیا)। इत्यादि ।

  • आदरसूचक प्रयोग के लिए आख़िर में एद लगाएं । जाईये - रवेद (ر)।
  • निषेधात्मक आदेश यानि ‘न ला’, ‘न जा’ इत्यादि जैसे संदेशों के लिए शुरु में ‘म’ लगाते हैं । जैसे- मत जा - मरु (مرو)। मत खा - मख़ुर مخُر। इत्यादि ।


ब-ए-ज़ाइद



जैसा कि आपने सीखा, शुरु में लगाने से मानी नहीं बदलता । इस ब को ब-ए-ज़ाइद कहते हैं । लेकिन सिर्फ अम्र बनाने में ही इस ब-ए-ज़ाईद का इस्तेमाल नहीं होता । इसका इसतेमाल किसी और सेग़े (काल) में भी हो सकता है । जैसे - रफ़्त (गया) का बरफ़्त बन सकता है । इससे इसका अर्थ नहीं बदलेगा और के साथ या बिना दोनो ही सूरत में - “गया” का अर्थ आएगा ।


उदाहरण



सो - ख़ुफ़ (ख़ुफ्तन से बना)
मत सो - मख़
इधर आइये - इंज़ा आमदेद (आमदन से बना)
बैठिये -निशसेद (निशस्तन से बना)


अमरे मुदामी
अमर -ए -मुदामी वो सेग़ा है जिसमें आदेश को सतत् होने का रूप दिया जाय, जैसे - “जाता रहा”, “जाया कर” ।
इसके लिए अमर में मी जोड़ देते हैं । जैसे - जाया कर - मीरु । देखा कर - मीबीन ।


हाफ़िज़ का शेर


بده صاقی می باقی که در جنّت نه خاهی یافت
کِنارِ آبِ رُکناباد و گلگشتا مسلا را


बदः साक़ी, मए बाक़ी, के दर जन्नत न ख़ाही याफ़्त
केनारे आबे रुक्नाबाद व गुलगश्ते मुसल्ला रॉ । ३.३।


बदः - दो (दादन से बना) । ख़ाही य़ाफ़्त - मिलेगा (याफ़्तन से बना) ।


अर्थ - साक़ी, बाक़ी की शराब दो, कि जन्नत में नहीं मिलेगी [ये सब]; रुक्नाबाद के पानी का किनारा और मुसल्लः के बाग़ की सैर ।  


पूरी ग़ज़ल यहाँ पढ़ें - http://ganjoor.net/hafez/ghazal/sh3/


अंग्रेज़ी अनुवाग के साथ यहाँ देखें http://www.hafizonlove.com/divan/01/003.htm
(इस ग़ज़ल के शुरुआती शेर (मतले) में हिन्दू शब्द आया है । ऐतिहासिक रूप से ये महत्वपूर्ण हो सकता है ।)


रूमी
پارسی گو اگرچه تازی خوشتر است
اِشق را سدها زبانِ دیگر است


पारसी गो, अगर्चेः ताज़ी ख़ुशतर अस्त ।
इश्क़ रा सदहा ज़बाने दीगर अस्त ।


गो - बोलो । सदहा- सैकड़ों । दीगर - दूसरे, अन्य ।
अर्थ - फ़ारसी बोलो, भले ही अरबी ख़ुशतर है; इश्क़ की वैसे भी सैकड़ों और भी ज़बाने हैं । (ये शेर उन्होंने तुर्क सुन्नी शासन के दौरान सन् १२६० दशक के आसपास लिखीं थी )


अभ्यास
यहाँ आओ । वहाँ जाओ । तुम्हारा नाम क्या है ? यहाँ किस लिए आए ? मेरी बात सुनो । तुम्हारा घर कहाँ है ? ये क्या  है? हाथ में क्या है ?   


Tuesday, 15 September 2015

Lesson 26 - Future Tense

Hello,

NO chit chat today. Just to the future! ;)
 
अध्याय २६
भविष्यत काल

फ़ारसी में मुस्तक़बिल - مُستقبِل

जाएगा, आएगा, ख़रीदेगा जैसे वाक्यों को बनाने के लिए निम्न चरण का पालन करें । तब तक जब तक आदत न बन जाए -
  1. ख़ाह शब्द में नीचे दिए गए टेबल के प्रत्यय, संदर्भानुसार जोड़ें ,(जैसे  - ख़ाहम, ख़ाहद) और
  2. मसदर में से आख़िर का न हटाकर, इस प्रत्यय में जोड़ें (ख़ाहम गुफ़्त)

पुरुष
प्रत्यय
बहुवचन (जमा)
प्रत्यय
मैं
म् - م
हम
एम - یم
तुम
ी - ی
आप
एद - ید
वो
द - د
वे लोग
अन्द - اند
बहुवचन के प्रत्यय बाद में पढ़े तो आसानी होगी ।


उदाहरण के लिए - “मैं आउंगा” के लिए, पहले ख़ाह में मैं की मात्रा (म) जोड़ने से ख़ाहम बना । इसके बाद आने की फ़ारसी (आमदन) का आख़िरी हटाकर आमद बना (इसको अलामत ए मसदर कहते हैं)। इनको आपस जोड़ने पर ख़ाहम आमद बना । अतः मैं आउंगा - (मन) ख़ाहम आमद बना ।

इसी प्रकार के और उदाहरण देखें -
  1. मैं जाउँगा - मन ख़ाहम् रफ़्त । من خاهم رفت
  2. तू देखेगा - तू ख़ाही दीद । تو خاهی دید
  3. वो देगा - उ ख़ाहद दाद । اُ خاهد داد
  4. दुनिया देखेगी - जहां ख़ाहद दीद । جهان خاهد دید

अमीर ख़ुसरो की ग़ज़ल
خبرم رسیده اِمشب که نِگار خاهی آمد
پرِ من فِداِ راهی که سوار خاهی آمد

ख़बरम रसीदः इमशब के निगार ख़ाही आमद ।
सरे मन फ़िदाए राही के सवार ख़ाही आमद ।
(ख़बरम - मुझको ख़बर । के - जो )

Thursday, 10 September 2015

Lesson 25 - Present Perfect and Past Simple

Hello,
Saying "I went" and "I have gone". Very easy, here we go ...

अध्याय - २५
आसन्न भूत

माज़ी क़रीब - ماضی قریب

हिन्दी में ऐसे वाक्यों के उदाहरण हैं - मैं गया हूँ, तू आया है, कोई मरा है ।

इनको बनाने के लिए दो चरणों का इस्तेमाल करते हैं

  1. पहले मसदर (क्रिया) का आख़िरी ‘न’ हटाते हैं (रफ़्तन -> रफ़्त बना)
  2. उसके बाद एक आकार (ा) या एक हलन्त (:) लगाते हैं ( रफ़्त -> रफ़्तः बना) ।
  3. और फिर अंत में प्रत्यय उसी प्रकार के टेबल के हिसाब से लगाते हैं (रफ़्तःअम) ।


उदाहरण के रूप में
मैं गया हूँ - मन रफ़्तःम, या रफ़्तःअम । من رفته ام
वो आया है - उ आमदः अस्त।   او آمده اسث

निषेधात्मक वाक्य बनाने के लिए, मसदर से पहले न लगाते हैं -
मैं नहीं गया हूँ - मन् न रफ़्तः अम । من ن رفته ام


पुरुष
प्रत्यय
बहुवचन (जमा)
प्रत्यय
मैं
अम् - ام
हम
एम - یم
तुम
ी - ی
आप
एद - ید
वो
अस्त - است
वे लोग
अन्द - اند



अभ्यास

इस फ़ारसी वार्ता को पढ़े

امروز چه کار. بازار رفته بودم. حمراهِ تو که بود. پدرم بود.  از بازار چه خریدی. برائ قمیز پارچه خریدم. پریروز چرا غایب بودی. بیمار بودم.

अर्थ -

आज क्या काम ? बाज़ार गया था । तेरे साथ कौन था?  मेरे पिता । बाज़ार से क्या ख़रीदा?  कमीज़ के लिए कपड़े का टुकड़ा ख़रीदा । परसों क्यों ग़ायब थे ? बीमार था ।


इक़बाल का शेर
صورت نه پرستم من بُتخانه شکستم من
آن سیل سُبک سیرم هر بند گوسستم من

सूरत ना परस्तम मन, बुतख़ानः शिकस्तम मन
आं सैल सुबक सेर अम, हर बन्द गुसस्तम मन ।

सूरत (आकार, स्वरूप) की पूजा नहीं की मैने, मूर्तियों को तोड़ा । मैं वो तूफ़ान का झोंका हूँ जिसने हर बंद को तोड़ा ।

यूट्यूब पर पूरी ग़ज़ल सुनिये - https://www.youtube.com/watch?v=9CluJYytWJo